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किसान क्रेडिट कार्ड -Kisan Credit Card

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन के आधुनिक तरीके को अपना कर आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है, कि आप चीजों को बारीकी से समझें और एक रणनीति बना कर ही काम करें। 

पेशेंस हर बिजनेस की जरूरत है, अतः उसे न खोएं, बकरी पालन एक बिजनेस है और आप इससे बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

गरीबों की गाय

पहले बकरी को गरीब किसानों की गाय कहा जाता था। जानते हैं क्यों क्योंकि बकरी कम चारा खाकर भी बढ़िया दूध देती थी, जिसे किसान और उसका परिवार पीता था। 

गाय जैसे बड़े जानवर को पालने की कूवत हर किसान में नहीं होती थी। खास कर वैसे किसान, जो किसी और की खेती करते थे। 

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आधुनिक बकरी पालन

अब दौर बदल गया है, अब बकरियों की फार्मिंग होने लगी है। नस्ल के आधार पर क्लोनिंग विधि से बकरियां पैदा की जाती हैं। देसी और फार्मिंग की बकरी, दोनों में फर्क होता है। यहां हम देसी की नहीं, फार्मिंग गोट्स की बात कर रहे हैं। 

जरूरी क्या है

बकरी पालन के लिए कुछ चीजें जरूरी हैं, पहला है, नस्ल का चुनाव, दूसरा है शेड का निर्माण, तीसरा है चारे की व्यवस्था, चौथा है बाजार की व्यवस्था और पांचवां या सबसे जरूरी चीज है, फंड का ऐरेन्जमेंट। ये पांच फंडे क्लीयर हैं, तो बकरी पालन में कोई दिक्कत नहीं जाएगी। 

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नस्ल या ब्रीड का चयन

अगर आप बकरी पालने का मूड बना ही चुके हैं, तो कुछ ब्रीडों के बारे में जान लें, जो आने वाले दिनों में आपके लिए फायदे का सौदा होगा। 

आप अगर पश्चिम बंगाल और असम में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो आपके लिए ब्लैक बेंगार ब्रीड ठीक रहेगा। लेकिन, अगर आप यूपी, बिहार और राजस्थान में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो बरबरी बेस्ट ब्रीड है। 

ऐसे ही देश के अलग-अलग हिस्सों में आप बीटल, सिरोही जैसे ब्रीड को ले सकते हैं। इन बकरियों का ब्रीड बेहतरीन है। ये दूध भी बढ़िया देती हैं, इनका दूध गाढ़ा होता है और बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए आदर्श माना जाता है। 

ट्रेनिंग कहां लें

आप बकरी पालन करना तो चाहते हैं, लेकिन आपको उसकी एबीसी भी पता नहीं है। तो चिंता न करें, एक फोन घुमाएं नंबर है 0565-2763320 यह नंबर केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा, यूपी का है। यह संस्थान आपको हर चीज की जानकारी दे देगा। अगर आप जाकर ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो उसकी भी व्यवस्था है। 

शेड का निर्माण

इसका शेड आप अपनी जरूरत के हिसाब से बना सकते हैं, जैसे, शुरुआत में आपको अगर 20 बकरियां पालनी हैं, तो आप 20 गुणे 20 फुट का इलाका भी चूज कर सकते हैं। 

उस पर एसबेस्डस शीट लगा कर छवा दें, बकरियां सीधी होती हैं। उनको आप जहां भी रखेंगे, वो वहीं रह जाएंगी, उन्हें किसी ए सी की जरूरत नहीं होती। 

भोजन

बकरियों को हरा चारा चाहिए, आप उन्हें जंगल में चरने के लिए छोड़ सकते हैं, आपको अलग से चारे की व्यवस्था नहीं करनी होगी। लेकिन, आप अगर जंगल से दूर हैं, तो आपको उनके लिए हरे चारे की व्यवस्था करनी होगी। 

हरे चारे के इतर बकरियां शाकाहारी इंसानों वाले हर भोजन को बड़े प्यार से खा लेती हैं, उसके लिए आपको टेंशन नहीं लेने का। 

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कितने दिनों में तैयार होती हैं बकरियां

एक बकरी का नन्हा बच्चा/बच्ची 10 माह में तैयार हो जाता है, आपको जो मेहनत करनी है, वह 10 माह में ही करनी है। इन 10 माह में वह इस लायक हो जाएगा कि परिवार बढ़ा ले, दूध देना शुरू कर दे। 

बाजार

आपकी बकरी का नस्ल ही आपके पास ग्राहक लेकर आएगा, आपको किसी मार्केटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसलिए नस्ल का चयन ठीक से करें। 

फंड की व्यवस्था

आपके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, तो उससे लोन ले सकते हैं। बकरी पालन को उसमें ऐड किया जा चुका है। केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) नहीं है तो आप किसी भी बैंक से लोन ले सकते हैं। 

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कोई बीमारी नहीं

अमूमन बकरियों में कोई बीमारी नहीं होती, ये खुद को साफ रखती हैं। हां, अब कोरोना टाइप की ही कोई बीमारी आ जाए तो क्या कहा जा सकता है, इसके लिए आपको राय दी जाती है, कि आप हर बकरी का बीमा करवा लें। खराब हालात में बीमा आपकी बेहद मदद करेगा।

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भारत में किसानों की दयनीय हालत के बारे में हम सब जानते हैं और किसानों की जिंदगी को बेहतर करने के लिए सरकार समय-समय पर विभिन्न योजनाएं लाती रहती है। पिछले सालों के दौरान सरकार ने पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojna) शुरू की थी जिसमें किसानों को 2000 रुपये की तीन किश्तें दी जाती थीं, यानी कि कुल 6000 रुपये का लाभ दिया जाता था (पीएम किसान योजना की वेबसाइट पर जाकर और जानकारी प्राप्त करें)। वैसे सरकार का मानना है कि किसान अगर खेती में इस्तेमाल होने वाले बेहतर बीज या कृषि उपकरणों का इस्तेमाल करें तो उनकी इनकम बढ़ाई जा सकती है। उसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक पुरानी किसान योजना को और भी बेहतर बना दिया है। इस योजना के अंतर्गत किसान अब 1 लाख 60 हजार रुपये का लाभ ले सकते हैं और अपनी खेती को बेहतर बना सकते हैं। कौन सी है ये योजना, आइए जानते हैं। इस स्कीम का नाम किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) है। वैसे यह स्कीम तो बहुत पहले से चल रही है, जिसमें किसान कम ब्याज़ दरों पर लोन लेते हुए अपनी खेती को बेहतर बना सकते हैं। पहले इस योजना के अंतर्गत बैंक किसानों को 1 लाख रुपये तक का कर्ज ही देते थे, लेकिन अब इस कर्ज की रकम 1 लाख 60 हजार रुपये कर दी गई है। इस तरह से अब किसान अपनी खेती और बेहतर बना पाएंगे और बढ़ती हुई महंगाई के बीच अपनी इनकम भी बढ़ा पाएंगे। ये भी पढ़ें : कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि लोन पर तो ब्याज बहुत लगता है, तो इसकी चिंता करने की आपको जरूरत नहीं है। क्योंकि, इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी दी जाती है, इसलिए लोन बेहद कम ब्याज दरों पर उपलब्ध कराया जाता है और इसकी ब्याज दर केवल 4 प्रतिशत होती है। साथ ही अगर किसान समय पर अपना कर्ज चुकाते हैं, तो उन्हें इसेंटिव के तौर पर और भी छूट दी जाती है। गौर करने वाली बात है कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत साल 1998 में की गई थी। इस योजना का मकसद किसानों की पहुंच बैंक तक करने की थी। इसके पहले गरीब किसानों को बैंकों से कर्ज लेने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन फिर भी कइयों को कर्ज नहीं मिल पाता था। पिछले कुछ सालों में किसानों ने केसीसी के माध्यम से लोन उठाया है और अपने जीवन को समृद्ध बनाया है। जैसा कि अब लोन की राशि बढ़ा दी गई है। ऐसे में किसान एक बार फिर से अपनी बेहतरी कि दिशा में बढ़ेंगे।
छत्तीसगढ़ में मिला मछली पालन को कृषि का दर्जा, जाने किसानों के लिए कैसे है सुहाना अवसर

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छत्तीसगढ़ तालाबों और जलाशयों की भूमि है, इसलिए छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय एक अहम हिस्सा बन गया है। इसी के चलते हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार की एक घोषणा ने यहां पर मत्स्य पालन करने वाले लोगों को काफी राहत की सांस दी है। आंकड़ों की माने तो छत्तीसगढ़ भारत में मत्स्य पालन में आठवें नंबर पर आता है और माना जा रहा है, कि इस घोषणा के बाद इसके 6th नंबर पर आने की संभावना है। मछली पालन से यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो सकती हैं और इसे ही देखते हुए सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। प्रशासन की मानें तो यह है राज्य के लोगों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने और उन्हें आजीविका के और साधन देने के लिए लिया गया एक बेहतरीन फैसला है।

अब मछली पालन में क्या होंगे फायदे

अब मछली पालन के लिए लोन लेने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं, क्योंकि यहां पर कृषि की तरह ही बिना ब्याज के लोन देने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही किसानों की आर्थिक समस्या का हल भी मिलेगा। ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ आजकल हमें यह भी देखने को मिल रहा है, कि सामान्य कृषि में लोगों का रुझान भी कम हो रहा है और साथ ही उसमें आमदनी भी कम होती जा रही है। बारिश के कम ज्यादा होने का मौसम के जरा सा इधर-उधर होने पर कृषि में किसानों की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती हैं। जिससे उन्हें काफी तंगी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में इन सब चीजों को देखते हुए लोगों का रुझान मछली पालन की ओर ज्यादा बढ़ा है।

किस तरह से होगा लोन की दर में बदलाव

पहले की बात करें तो किसानों को 100000 के मूल्य पर 1% और 300000 तक के मूल्य पर 3% ब्याज की दर के साथ लोन दिया जाता था। लेकिन अब जबसे मत्स्य पालन को कृषि की तरह ही दर्जा मिल गया है, तो सरकारी विभाग से यह लोन बिना किसी ब्याज के किसानों को दिया जाएगा। साथ ही यहां पर भी किसान कृषि क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं और उसका फायदा उठा सकते हैं।

मत्स्य पालकों को दी जाने वाली अन्य सुविधाएं और लाभ

वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति की आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब फ्री में मिलेगा। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=stwIUBJpMGE&t=4s[/embed] मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। ये भी पढ़े: 66 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगी यह राज्य सरकार, मिलेगी हर प्रकार की सुविधा
  • राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराती है।
  • मत्स्य पालकों को 5 लाख रुपए तक का बीमा दिया जाता है।
  • मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है।
क्यों घट रही है किसान क्रेडिट कार्ड लेने वालों की संख्या, जाने क्या है सरकार के उपाय

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सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना लागू की थी। इसके तहत किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाते हैं, जिसकी मदद से वह अपनी वित्तीय सहायता कर सकते हैं। लेकिन हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पांच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड लेने वाले किसानों की संख्या लगभग 88% तक कम हो गई है।

5 राज्यों का रिकॉर्ड है बेहद खराब

हालांकि पूरे देश में ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में कमी आई है। लेकिन देश के पांच ऐसे राज्य हैं, जिनका रिकॉर्ड बेहद खराब है। इन पांच राज्यों में त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, पश्चिमबंगाल और असम शामिल हैं। अगर हर राज्य की गिरावट की प्रतिशत दर देखी जाए तो त्रिपुरा में 96.20 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 93.33 प्रतिशत, चंडीगढ़ 85.09 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 83.11 प्रतिशत, असम में 82.73 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। अगर केवल इन्हीं राज्यों के आंकड़ों के बारे में चर्चा की जाए तो पांच राज्यों के आधार पर ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में 88% तक की गिरावट दर्ज की गई है।


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किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने की दर में गिरावट के कारण क्या हैं?

सरकार इस गिरावट को लेकर चिंता में हैं। किसान क्रेडिट कार्ड में किसानों के लिए बहुत ही लुभावने ऑफर दिए गए हैं। यहां पर ब्याज की दर केवल चार से 5% तक रखी गई है, जबकि किसी भी अन्य बैंक से लोन लेने पर दर लगभग 9 से 12% के मध्य ही रहती है। फिर भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड से लोन नहीं लेना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जो सामने आया है, वह है कि किसान लोन लेने के बाद उसे भरने में सक्षम नहीं है। एक बार किसी भी प्राकृतिक कारण से अगर फसल बर्बाद हो जाती है, तो किसान उसकी भरपाई नहीं कर पाते हैं।

इसलिए भी नहीं मिले कार्ड

इसके अलावा बहुत से किसान कार्ड लेने के लिए मान्यता ही नहीं रखते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड लेने के लिए किसानों के पास अपना जमीन का टुकड़ा होना बेहद जरूरी है। साथ ही, एक बार लोन लेने के बाद मार्च में क्लोजिंग के समय उन्हें ली गई पूरी राशि को एक साथ जमा करना पड़ता है। दोनों ही मापदंड पूरे ना किए जाने की स्थिति में उन्हें कार्ड नहीं मिल पाता है।
खुशखबरी: वित्त मंत्री ने लांच किया किसान ऋण पोर्टल, अब आसानी से मिलेगा अनुदानित ऋण

खुशखबरी: वित्त मंत्री ने लांच किया किसान ऋण पोर्टल, अब आसानी से मिलेगा अनुदानित ऋण

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान सहूलियत ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया है। किसानों को वर्तमान में अनुदानित लोन बड़ी सुगमता से मिलेगा। मंगलवार 19 सितंबर 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान ऋण पोर्टल को लॉच किया है। किसान भाई इस पोर्टल के माध्यम से अपने घर बैठे किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत सब्सिडी वाला ऋण यानी लोन प्राप्त कर सकते हैं। पूसा परिसर में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान डोर-टू-डोर केसीसी अभियान एवं मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (विन्ड्स) पोर्टल का एक मैनुअल भी प्रस्तुत किया गया।

भारत में फिलहाल 7.35 करोड़ KCC अकाउंट मौजूद हैं

कृषि मंत्रालय के अनुसार, किसान ऋण डिजिटल प्लेटफॉर्म-किसान डेटा, ऋण वितरण विशिष्टताओं, ब्याज छूट के दावों एवं योजना उपयोग की प्रगति पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। यह वेबसाइट कृषि ऋण के लिए बैंकों के साथ सहज एकीकरण को प्रोत्साहन देगा। भारत में फिलहाल 7.35 करोड़ KCC अकाउंट है। इनको 8.85 लाख करोड़ बांटा जा चुका है। एक बयान में यह बताया गया है, कि 30 मार्च तक तकरीबन 7.35 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते हैं, जिनकी समकुल स्वीकृत धन सीमा 8.85 लाख करोड़ रुपये है।

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अप्रैल से लेकर अगस्त तक 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया गया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान रियायती ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का कृषि-ऋण वितरित किया है। केसीसी के फायदे को बढ़ाने के लिए घर-घर अभियान, केंद्रीय योजना ‘पीएम-किसान' के गैर-केसीसी धारकों तक पहुंचेगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक चिन्हित लाभार्थी किसान के बैंक खाते में प्रतिवर्ष 6,000 रुपये दिए जाते हैं।